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Showing posts from October, 2018
हमें नेटिव अर्थ शास्त्र विकसित करना है तो आज के संसाधन को इस्तेमाल भी करने होंगे। विदेशी आक्रमणकारी वैदिक धर्मी ब्राह्मण के कारण हिन्दू समाज , हिन्दू धर्म , हिंदुस्तान टूट कर बिखर गया। हिन्दू के पास उसके पूर्वजोंके छोटे मोटे काम , अल्प भूमि के आलावा कुछ नहीं बचा जिस के कारण हर साल बड़े पैमाने पर बेरोजगार , भूमिहीन मजदुर , कुपोषण , बाल मृत्यु , अस्वच्छता के कारण निर्माण हुवी कई बीमारिया , वयस्क कई प्रकारकी बीमारिया , जल्दी मृत्यु , आदि समश्या देश और हिन्दू समज के लिए स्थायी बन गयी वही विदेशी ब्राह्मण मंदिरो में आराम , वेश्या वेवसाय , मंदिर की कमाई , मंदिर के भूमि की कमाई , दान दक्षिणा में प्राप्त हुव सोना , चाँदी और आभूषण से ेशो आराम की जिंदगी बिताते रहे। फिर उन्हों ने इस के साथ , नाम निकलना , नाम करण, शादी ब्याह की तारीख निकलना , शुभ महूरत , भविष्य बताना , कुछ टोटके पूजा करना आदि से भी कमाई करते रहे और अंत में मृत्य पर गोदान , अन्य दान से अपनी झोली भरते रहे पर बाकी सच्चे स्वदेशी हिन्दू को क्या मिला ? शोषण , शोषण , शोषण ! जाती , वर्ण , ऊंचनीच , भेदभाव आदि से हिन्...
भाईयो गर्व से कहो हम इंडो, हिन्दू है होश में आवो तो कुछ बात करे कुछ पढ़ लो तो कुछ बात करे सिंधु हिन्दू संस्कृति जान लो  तो कुछ सही सार्थक बहस करे चलो शुरू करते है काम की बाते हम एक थे एक था धर्म हमारा हिण्डो हिन्दवे हिन्दू नाम हमारा देश, धर्म, राष्ट्र हिन्दू था हमारा ग्रीक ने हम हिण्डो को इंडो कहा पारसी ईरानी भी मानते हमें हिंदी जलाते थे जो हमसे कहते थे काले पर हम तो थे विश्व के दिल वाले यूरेसियन ईरान होकर यहाँ आये ईरानी लोगो के सुर में सुर मिलाये हिन्दू को नीच शूद्र कहा कम आका राजा , वेपारी को दी गोरी अप्सरा हिन्दू राजा वेपारी को उल्लू बनाया सवर्ण कहकर सुवर्ण सोना लुटवाया उन्हीसे नेटिव गरीब किसान पिटवाया अपनाही अस्तित्व, हिंदुत्व मिटवाया बहुत चालाकी की कभी दी गोरी बेटियां शिव ,राम , कृष्ण ने बहुत लड़ी लड़ाई ब्रह्मा , रावण , अश्वस्थामा की पिटाई वेद भेद की जलने ना दी गणो ने अग्नि मध्य युग में मोगल ब्राह्मण साथ हुवे जलाये विद्यालय, विहार, हिन्दू मंदिर कब्ज़ा किया, ब्राह्मण बिठाया दक्षिणा गरीब , विरोधी को किया मंदिर मना तब कबीर ने फिर एक बार धर्म बताया हिन्दू धर्म वाणी ...
We are for Scrapping of Constitution : Nativist DD Raut “DON’T interfere with anything in the constitution. That must be maintained, for it is the only safeguard of our liberties.” The United States has taken Abraham Lincoln’s admonition to heart: its constitution has been amended several times since coming into effect in 1789, but never replaced. South of the border, however, constitutions are perishable items. By one calculation, Latin America boasts the four countries that have gone through the most constitutions. The Dominican Republic heads the list, with 32, from its first in 1844 to its latest version in 1994. (Scholars differ over whether the 2010 document counts as a rewrite or a thorough edit.) Other serial revisers include Ecuador—20 versions, the latest in 2008—and Venezuela, whose 26th constitution was drawn up in 1999. The average lifespan of a Latin American constitution is 16.5 years; in western Europe, it is 77. In India we are for scrapping...